*** लघुकथा क्या है

कभी कभी छोटी सी घटना या छोटा सा संकेत विस्तार से अधिक प्रभावशाली होता है. लघुकथा का सीधा संबंध कहानी के इसी लघु सांकेतिक स्वरूप से है. इसमें संदेह नहीं कि कुछ आचार्य 'लघुकथा' को छोटी कहानी मानकर दोनों में अभेद की कल्पना करते हैं किन्तु लघुकथा एक स्वतंत्र विधा है जिसका 'कहानी' से भेद उसी प्रकार का है जिस प्रकार 'कहानी' का 'उपन्यास' से. 'कहानी' में सभी तत्वों की योजना की जाती है किन्तु लघुकथा में यह संभव ही नहीं है. वह तो प्राचीन बोधकथाओं के समान है. उसकी मुख्य विशेषताएँ हैं- संकेतात्मकता, वेधकता और अतिकल्पना.

लघुकथा की विशेषताएँ


1. कथानक
लघुकथा का कथानक अत्यंत सूक्ष्म होता है. चूंकि ऐतिहासिक-सामाजिक अंतर्वस्तु कथानक की रीढ होती है, इसलिए लघुकथा में इसका प्रवेश सूक्ष्मतम विधानों में ही होता है. उसका आदि, मध्य या अंत नहीं होता. उसमें घटनाओं के विस्तार का अभाव होता है और कहानी के समान संघर्ष की तीव्रता भी नहीं होती.

2. पात्र-योजना
लघुकथा में एक-दो पात्र संभव है किन्तु उनके चरित्र-चित्रण के लिए उसमें कोई अवकाश नहीं होता. मानव के साथ अथवा स्थान पर पशु-पक्षी भी हो सकते हैं.

3. कल्पना की उड़ान
'कहानी' के समान 'लघुकथा' में यथार्थ घटनाओं की बंदिश नहीं होती. उसमें यथार्थ के अतिरिक्त कल्पना की उन्मुक्त उड़ान के द्वारा कथ्य की अभिव्यक्ति की जाती है. राजा, रानी, पशु-पक्षी आदि काल्पनिक पात्र और काल्पनिक घटनाओं पर आधारित रचना भी संभव है.

4. शैली
लघुकथा का शैली रूप में ही सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है. संकेतात्मकता और वेधकता उसकी शैली के विशिष्ट गुण होते हैं. संक्षेप से संक्षेप में बात कहने की सामर्थ्य संकेतात्मक शैली ही के द्वारा उत्पन्न हो सकती है.

5. उपदेशात्मकता
लघुकथा उपदेशात्मक होती है. प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से उपदेश अवश्य निहित रहता है.

6. संक्षिप्तता
लघुकथा का कलेवर उसकी लघुता में ही होता है. अतएव उसका संक्षिप्त होना अनिवार्य माना जाता है.

7. उद्देश्य
लघुकथा उद्देश्य निरपेक्ष नहीं होती. वह अपने उद्देश्य को बिजली की कौंध के समान अभिव्यक्ति देती है. उपदेश भी एक तरह का उद्देश्य ही होता है.

लघुकथा के प्रकार


सामान्यत: लघुकथाएँ दो प्रकार की होती हैं:
1. दृष्टांतमूलक लघुकथाएँ
इन कथाओं में किसी न किसी दृष्टांत के द्वारा कथ्य की अभिव्यक्ति की जाती है.
2. अनुभवमूलक लघुकथाएँ
इन कथाओं में बिना किसी दृष्टांत के अनुभव के द्वारा मार्मिक भाव को प्रकट किया जाता है.

लघुकथा और कहानी में अंतर

लघुकथा और कहानी दोनों ही कथात्मक विधाएँ हैं. कहानी को अंग्रेजी में शार्ट स्टोरी कहा जाता है और लघुकथा को शार्ट शार्ट स्टोरी. इससे केवल आकार-भेद की ज्ञात होता है. किन्तु वास्तविकता यह है कि दोनों में तात्विक भेद है.

कहानी में कथानक का आदि, मध्य और अंत होता है. उसमें घटनाओं की योजना की जाती है और कथानक में चरम विकास पाया जाता है किन्तु लघुकथा के लिए यह सब अनिवार्य नहीं है. कथावस्तु की गठन अथवा चरित्र-योजना की ओर कहानी की तरह लघुकथा का ध्यान नहीं रहता. कहानी के समान वातावरण की योजना के लिए भी लघुकथा में कोई अवकाश नहीं होता है. साथ ही लघुकथा में कथोपकथन के अनिवार्यता की जरूरत भी नहीं होती है. वैसे सुविधानुसार इसका प्रयोग किया जा सकता है. संकेतात्मकता लघुकथा की महत्त्वपूर्ण शैली है जो कहानी में कम देखने को मिलता है.