रिपोर्ताज

रिपोर्ताज का संबंध युद्ध से जोड़ा जाता है. युद्ध भूमि से जो सूचना या विवरण भेजे जाते थे, उनमें भावना और संवेदना का भी पुट मिल जाने से साहित्यिकता आ जाती थी. इसी कारण इसे एक साहित्यिक विधा मान लिया गया. धीरे-धीरे किसी भी प्रकार की रिपोर्टिंग में यदि मार्मिक प्रसंग उभर गए हों तो उसे रिपोर्ताज कहा जाने लगा. रांगेय राधव, प्रभाकर माचवे, विष्णु प्रभाकर, कमलेश्वर, धर्मवीर भारती, प्रभाकर द्विवेदी और फनीश्वर नाथ रेणु कुछ उल्लेखनीय रिपोर्ताज लेखक हैं.

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